HISTORY OF MAHARAJA MAHE PASI QUILA
HISTORY OF RAJA MAHE PASI QUILA
आज आपको महाराजा माहे पासी के इतिहास एवं उनके वीरता से रुबरु कराता हूं
साथियों अतीत में देखा जाए तो पासी वंश में एक से बढ़ कर एक वीर योद्धा हुए उन्हीं में से एक नाम राजा माहे पासी का आता है।
जिनके बहादुरी के किस्से सुनकर बाहरी आक्रमणकारियों की रुह तक कांप जाती थी।
इनका किला आज भी उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद केे रोोोोहनियायाय
राजा माहे पासी (RAJA MAHE PASI) चौदहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में, जब दिल्ली पर सुल्तान फिरोजशाह तुगलक का शासन काल था, उस समय रायबरेली जनपद के ऊंचाहार नगर पालिका से थोड़ी दूर पर गोड़वा रोहनियाँ नामक स्थान पर एक छोटा सा गणराज्य था जिसके शासक थे राजा माहे पासी। माहे पासी एक पराक्रमी योद्धा थे। उनमें अपार संगठन शक्ति थी। उन्होंने अपने बल पर एक बलशाली सेना इकट्ठा की और गोड़वा रोहनियाँ में अपना स्वतंत्र राज्य खड़ा किया। उन्होंने नेवारी के राजा को युद्ध में परास्त किया था। इस जीत से उनको नेवारी राज्य का एक बहुत बड़ा भू-भाग मिला था। कुछ स्थानीय गद्दारों की मुखविरी के कारण दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक की सेनाओं से राजा माहे पासी का जबरदस्त मुकाबला हुआ जिसमें राजा माहे पासी वीरगति को प्राप्त हो गये । यह युद्ध 1374 ई. में हुआ था। राजा माहे पासी का राज्य 1350 ई. से लेकर 1374 ई. के मध्य था। उनके किले के भग्नावशेष आज भी गोड़वा रोहनियाँ में बिखरे पड़े हैं। संरक्षण के अभाव में पासी वंश की यह ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने की कगार पर है। इस किले के अंदर जाने के लिए दो भव्य द्वार मिलेगे यह द्वार राजा माहे पासी के सम्मान में बाद में बनवाएं गए है किले के अंदर राजा की भव्य प्रतिमा देखने को मिलती है माहे पासी फिरोजशाह तुगलक के समकालीन थे, इनके शाशनकाल में प्रजा बहुत खुशहाल जीवन यापन करती थी। इस किले पर एक बहुत ही प्राचीन मां काली का मंदिर भी स्थित है स्थानीय लोग बताते हैं कि राजा मां काली के भक्त थे। मंदिर में अद्भुत चीजें देखने को मिलती है उसमें मौजूद मूर्तियों को आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ने की कोशिश की गई थी और उनका स्वरूप बदलने की कोशिश की गई थी। मंदिर में एक प्राचीन पिलर है यहां के लोग इसे राजा का सोटा बताते है जो कि अद्भुत है उस पिलर पर प्राचीन लिपि में कुछ लिखावट भी है बताते है कि यह रात में अपने आप घूमता है। पुरातत्व विभाग की टीम ने इस अद्भुत पहेली को सुलझाने की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे। इस किले में एक अद्भुत कुंवा भी है जिसमें से शराब व पानी दोनों निकलता है अब यह कुंवा पट चुका है, किले का परिदृश्य बहुत ही शोभनीय एवं मनमोहक है। यहां पर कौशांबी व फतेहपुर जिले से काफी लोग दर्शन के लिए आते है। अक्टूबर माह में यहां 3 दिवसीय भव्य मेला भी लगता है। अगर आप रायबरेली आते है तो घूमने का एक अच्छा विकल्प है। हमारी अगली वीडियो काफी धमाकेदार होने वाली है जो कि महाराजा छीता पासी जी के बारे में हम एक नया इतिहास अापके सामने लाएंगे तब तक के लिए दीजिए इजाजत, धन्यवाद।
राजा माहे पासी (RAJA MAHE PASI) चौदहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में, जब दिल्ली पर सुल्तान फिरोजशाह तुगलक का शासन काल था, उस समय रायबरेली जनपद के ऊंचाहार नगर पालिका से थोड़ी दूर पर गोड़वा रोहनियाँ नामक स्थान पर एक छोटा सा गणराज्य था जिसके शासक थे राजा माहे पासी। माहे पासी एक पराक्रमी योद्धा थे। उनमें अपार संगठन शक्ति थी। उन्होंने अपने बल पर एक बलशाली सेना इकट्ठा की और गोड़वा रोहनियाँ में अपना स्वतंत्र राज्य खड़ा किया। उन्होंने नेवारी के राजा को युद्ध में परास्त किया था। इस जीत से उनको नेवारी राज्य का एक बहुत बड़ा भू-भाग मिला था। कुछ स्थानीय गद्दारों की मुखविरी के कारण दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक की सेनाओं से राजा माहे पासी का जबरदस्त मुकाबला हुआ जिसमें राजा माहे पासी वीरगति को प्राप्त हो गये । यह युद्ध 1374 ई. में हुआ था। राजा माहे पासी का राज्य 1350 ई. से लेकर 1374 ई. के मध्य था। उनके किले के भग्नावशेष आज भी गोड़वा रोहनियाँ में बिखरे पड़े हैं। संरक्षण के अभाव में पासी वंश की यह ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने की कगार पर है। इस किले के अंदर जाने के लिए दो भव्य द्वार मिलेगे यह द्वार राजा माहे पासी के सम्मान में बाद में बनवाएं गए है किले के अंदर राजा की भव्य प्रतिमा देखने को मिलती है माहे पासी फिरोजशाह तुगलक के समकालीन थे, इनके शाशनकाल में प्रजा बहुत खुशहाल जीवन यापन करती थी। इस किले पर एक बहुत ही प्राचीन मां काली का मंदिर भी स्थित है स्थानीय लोग बताते हैं कि राजा मां काली के भक्त थे। मंदिर में अद्भुत चीजें देखने को मिलती है उसमें मौजूद मूर्तियों को आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ने की कोशिश की गई थी और उनका स्वरूप बदलने की कोशिश की गई थी। मंदिर में एक प्राचीन पिलर है यहां के लोग इसे राजा का सोटा बताते है जो कि अद्भुत है उस पिलर पर प्राचीन लिपि में कुछ लिखावट भी है बताते है कि यह रात में अपने आप घूमता है। पुरातत्व विभाग की टीम ने इस अद्भुत पहेली को सुलझाने की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे। इस किले में एक अद्भुत कुंवा भी है जिसमें से शराब व पानी दोनों निकलता है अब यह कुंवा पट चुका है, किले का परिदृश्य बहुत ही शोभनीय एवं मनमोहक है। यहां पर कौशांबी व फतेहपुर जिले से काफी लोग दर्शन के लिए आते है। अक्टूबर माह में यहां 3 दिवसीय भव्य मेला भी लगता है। अगर आप रायबरेली आते है तो घूमने का एक अच्छा विकल्प है। हमारी अगली वीडियो काफी धमाकेदार होने वाली है जो कि महाराजा छीता पासी जी के बारे में हम एक नया इतिहास अापके सामने लाएंगे तब तक के लिए दीजिए इजाजत, धन्यवाद।
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